Motivational Story in Hindi: मोटिवेशन स्टोरी जीवन बदल देने वाली उत्प्रेरित कहानियां आप लोगों के लिए यहां मैं लेकर आया हूं इनको पढ़ने के बाद आप अपने में परिवर्तन ला सकते हो नीचे 3 महत्वपूर्ण जानकारी के साथ आपको उत्प्रेरित करने वाली कहानियां हैं इन्हें जरूर पढ़ें
भगवान को कौन लोग पसंद है? गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मुझे सम रहने वाले लोग सबसे ज्यादा पसंद हैं। हर स्थिति-परस्थिति में व्यक्ति सम बना रहे, ये बड़ी बात है।
दुःख में ज्यादा दुखी न हो और सुख में ज्यादा उछले नहीं। सुख-दुःख, मानअपमान, जय-पराजय, खोना-पाना, आना-जाना, हानि-लाभ तो लगा ही रहेगा जीवन में। अगर एक जैसी स्थिति सदा बनी। रहे तो जीना मुश्किल हो जाएगा।
पल कहीं कोई जन्म ले रहा है, खशियां मना रहे हैं। तो इसी पल में कही किसी की अर्थी उठ रही है, दुःख मनाया जा रहा है, माहौल गमगीन है। कहीं कोई सुहागन बन रही है। तो किसी का सुहाग उजड़ रहा है।
इन सब पलों में व्यक्ति अपने को संभाल लें, भावनाओं में ना बहें तो कोई बात है। यहदियों में एक कथा कही जाती है कि यहोबा (भगवान)। | को क्या पसंद है और क्या नापसंद? कथा में आता है कि यहोबा को घमंड से चढ़ि आंखें, गलत मार्ग पर चलते पांव, |किसी का हक छीनते हाथ और झूठी गवाही देती जीभ पसंद | नहीं है।
उसको सदमार्ग पर चलते पांव, सेवा व सहयोग करते | हाथ, मधुर व हितकारी वाणी बोलती जीभ, उल्लास-उत्साह |से भरा हृदय, शांत मस्तिष्क, चहरे पर प्रसन्नता के भाव |और होंठों पर मुस्कान पसंद है। लेकिन ये सब है बड़ी महंगी|और महंगी चीजों के लिए कीमत चुकानी पड़ती है।
ये किताबों |में पढ़ने से या खाली-पीली कहने-सुनने से नहीं आ जाएगा |आपके पास। ये आएगी किसी ज्ञानी-ध्यानी का संग करने से। |सद्ग्रन्थों का अध्ययन करने से, सत्संग में जाने से! मानव |जन्म मिलना सौभाग्य और सद्गुरु का मिलना परम सौभाग्य की बात है। जीवन में अगर संत हैं तो फिर सदा ही बसंत है।Author_ललित ‘अकिंचन’
एक बार मिठाइयों में आपस में जंग छिड गई। रसगल्ला बोला मैं सबसे मीठा हूँ। तभी जलेबी रानी बीच मे टोकती हए बोली- मैं सबसे मीठी हूँ, मझ में से तो रस रिसता रहता है। इमरती देवी ने चुटकी ली बोली-तुझ में से भले ही रस टपकता हो पर सबसे मीठी तो मैं हूँ।
लडुगोपाल जी कहां चुप बैठने वाले थे, बोले-हटो पीछे, भगवान के हाथ में तो मैं रहता हूं, गणेशजी का प्रिय मिष्ठान हूँ, अतः मैं चौधरी हुआ। हलवा बोला-भले ही तुम भगवान के हाथ में रहते हो, पर भगवान को भोग तो मेरा ही लगता है।
लड़ाई बढ़ती देखकर एक कोने में पड़ी हुई चीनी की बोरी बोल उठी-ठहरो!लड़ना, झगड़ना बंद करो। तुम सब में मैं ही तो हूँ। मेरे कारण ही तुम सब में मिठास है। मैं नहीं तो तुम सब कुछ भी नहीं। तुम्हारा कोई अस्तित्व नहीं।
तुम तो केवल आटा, मैदा, सूजी, बेसन और पिसी हुई उड़द की दाल हो। मैं ही तुम्हारी आत्मा हूँ। और लड़ाई बंद हो गई। हम-आप भी आपस में यूं ही लड़ते रहते हैं। कोई अपने पैसे की तो कोई अपनी पद- प्रतिष्ठा की | धौस जमाता है। कोई कहता है मेरा कुल-खानदान ऊंचा है। कोई बड़े भवन, भूमि- विस्तार, बड़ी गाड़ी का गुमान पाले दूसरों को दबाना-सताना चाहता है।
आत्मा निकल जाने के बाद एक रात भी इस |जड़ शरीर को घर में रखना भारी हो जाता है। पर विडम्बना देखिये कि उस आत्मतत्व को हम पहचानते नहीं और सारी |जिंदगी इस शरीर को ही सजाने-सँवारने में निकाल देते है। भीतरी बात-गहरी बात- जिस्म और रूह का अजब है | रिश्ता, उम्र भर साथ रहे पर कभी तारुफ न हुआ। Author -ललित ‘अकिंचन’
इंसान की आदत है कि दूसरों को ठग कर खुश होता है।। और उसे कोई ठगता है तो दुखी होता है। लेकिन कबीर कहते हैं-काल सबको ठग रहा है। काल जो सबको ठग रहा है, | एक ऐसा ठग है, जिसके भी घर जाता है.
उसकी सारी चीजें | उससे दूर कर देता है। सब छुड़ाकर ले जाता है। हे इंसान! | तू इतना बड़ा ठग बन कि काल को भी ठग ले जाए। इतना | ऊँचा उठ कि मौत और समय को भी छल ले जाए। तब तो | तू ठग माना जाएगा, नहीं तो फिर इस ठगी को छोड़ दे। पूछा गया काल को ठगने का तरीका क्या है? हर एक श्वास को कीमती बनाओ। एक-एक क्षण का उपयोग करो। ऐसी स्थिति लेकर खड़े हो जाओ कि काल आए तो हाथ जोड़कर कहे | तुम जीते। मैं जब भी आता हूँ हर आदमी का नाम मिटाता हूँ, उसकी पहचान खत्म कर देता हूँ।
थोड़े दिनों तक उसकी याद रहती है और फिर मिट जाती है। लेकिन जिसका कर्म | ऊंचा है, जिसके अंदर पवित्रता है, जिया है महानता से, ऐसे आदमी के सामने काल हाथ बांधकर खड़ा रहता है और कहता है-मेरे मिटाने से भी तुम मिटने वाले नहीं हो।
क्योंकि तुम रहोगे दुनिया में। शरीर चाहे न रहे लेकिन तुम्हारी गाथाएं | रहेगी दुनिया में। तुम लोगों की जुबान पर रहोगे, लोगों के हृदय में मुस्कराओगे। लोगों की आंखों से संसार में चमक बनकर दृश्य दिखाओगे, तुम्हारे द्वारा न जाने कितने लोगों को लाभ पहुंचेगा।
या तो ठग बनना हो तो ऐसा बनो की काल को भी ठग ले जाओ अन्यथा इतने सरल बन जाओ कि भोलापन दिखाई दे क्योंकि भोलेपन में ही परमात्मा वास है। | उसे छल-कपट, किसी का अहंकार बिल्कुल पसंद नहीं। Author -ललित ‘अकिंचन
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