Importance of Parents

Importance of Parents: यह कहानी आशीष नाम के आदमी की जिसकी शादी हो गयी थी. और उसके दो बच्चे भी थे. उसके फैमली में सब कुछ अच्छा चल रहा था.

उसके घर में कही कोई कमी नहीं थी. एक बड़ा सा घर था, गाड़ी थी, एकलौता संतान था।

उसके मम्मी पापा बड़े शांत सवभाव के और नेक दिल इंसान भी थे। लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया. आशीष की माँ का देहांत हो गया और एक महीने के बाद ही आशीष ने अपने पिता से लड़ाई कर ली

उसने अपने पापा से बोला की पापा जी आपकी वजह से बहुत दिकत हो रही है. बहु को जो मेरी बीवी है. उसे बड़ी परेशानी होती है. दिन भर इसे कल्चरल वैल्यूज फॉलो करनी परती है. साड़ी पेहेन कर के काम करना परता है ये मॉडर्न बनना चाहती है.

लेकिन बन नहीं पा रही है. तो पापा आप से एक रिक्वेस्ट है. आप अपने घर में जो निचे गराज है उसमे शिफ्ट हो जाओ।

इस लड़के ने अपने पिता को अपने ही घर में निचे गराज में शिफ्ट कर दिया।

इसके पापा कुछ नहीं बोले , बिना कुछ बोले चुप चाप अपने सामान ले कर के गराज में शिफ्ट हो गए.

15 दिन के बाद आशीष के पापा ऊपर आते है और डोर बेल बजाते हैं.

आशीष बहार निकलता है.

अपने पापा को देख कर के चौक जाता है. इसे लगता है की अब लड़ाई होने वाली है।

लेकिन उसके पापा लड़ाई नहीं करते बल्कि उनके हाथ में कुछ वाउचर्स होते हैं. आशीष को देते है और बोलते है की बीटा ये 10 दिन की फॉरेन ट्रिप के वाउचर्स हैं.

मैंने आपके लिए आपकी पत्नी ले लिए आपके फॅमिली के लिए बच्चो के लिए ले कर के आया हु.

आपके लिए सरप्राइज है जाओ घूम कर के आओ वैसे भी तुम्हारी मम्मी के जाने के बाद तुम उदाश रहते हो मुझे लगता है. की तुम परेशान रहते हो.

तुम्हारा मन हल्का हो जाएगा।
बच्चो को अच्छा लगेगा।

जाओ घूम कर के आओ तो 10 दिन के लिए ऑनक्ल जी अपने बच्चों को फॉरेन ट्रिप पे भेज देते हैं, और उसके बाद ऑनक्ल जी असली खेल करते हैं।

जिस माकन में आशीष रेह रहा था.

उस 6 करोड़ का माकन को 3 करोड़ में बेच कर के अपने लिए एक छोटा सा घर ले लेते है, और आशीष का सारा सामान एक किराए पे माकन लेते है और शिफ्ट करवा देतें हैं।

आशीष जब 10 दिन के घूम कर के वापस अपने घर आता है. तो उसके घर के दरवाजे पे एक बड़ा सा ताला लगा होता है और बाहर एक गार्ड बैठा हुआ होता है तो आशीष बोलता है.

ये ताला किसने लगाया मेरे पापा कहा गए.

तो गार्ड ने बोला क्यों परेशान हो रहे हो

मुझे बोल कर के गए है बात करवा देना

तो आशीष बोलता है तुम क्या बात करवाओगे मैं बात करता हु तो कॉल लगता है कॉल नहीं लगता है.

तो गार्ड बोलता है साहब ये नंबर नहीं लगेगा। साहब मुझे दूसरा नंबर लिखवा कर के गए हैं।

गार्ड जाता है अंदर अपने केबिन में एक छोटी सी पर्ची पे नंबर होता है। कॉल करता है और आशीष को उसके पिता से बात करवाता है.

तो जब आशीष बात करता है. तो बोलता है पापा ये क्या तरीका है यहाँ पे ताला लगा हुआ है। ये च्चे कहा खरे होंगे हम बरे परेशान हो रहे हैं तो उसके बाद उसके पिता बोलते है

अच्छा बेटे तुम बस 15 मिनट रुकना मैं आरहा हु 15 मिनट के बाद एक गाड़ी आती है। गाड़ी में से ऑनक्ल जी उतरते है। ऑनक्ल जी जा कर के बोलते है। बेटा ये पकरो चाभी इस माकन में तुम्हारा सरा सामान शिफ्ट करवा दिया है.

एक साल का किराया दे दिया है अब तुम्हारी पत्नी को जैसे तुम्हे रखना है. रखो मुझे परेशान मत करो तो आशीष पूछता है. की पापा आप कहा रहेंगे। तो ऑनक्ल जी बोलते है बेटा मैंने तो अपने लिए एक छोटा घर खरीद लिया है.

मैं उसमे खुश हु. अब तुम्हे जैसे रहना हो।

छोटी सी कहानी बहुत बरी बात सिखाती है. लाइफ में पेरेंट्स की हमेसा कदर करे

इससे पहले की पेरेंट्स आपकी कदर करना बंद कर दे और वैसे भी पेरेंट्स आपका कदर करना कभी भी बंद नहीं करेंगे।

इस लिए उन्हें कभी भी उन्हें दुखी मत करना।

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